Monday, February 23, 2015
गुरु ज्ञान
गुरु चिन्नु
सम्मान गर्नु
गुरु विना
बाटो छैन
ज्ञान लेउ
ज्ञान देउ
दिई बढाऊ
राखी नराख ।
०६० असोज, इलाम
Labels:
Subash Rai Poem,
कबिता
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